केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने रविवार को कहा कि भारतीय न्यायपालिका को कभी भी विपक्षी पार्टी की भूमिका निभाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। हालांकि “कुछ लोग” चाहते हैं कि वह ऐसी भूमिका निभाए। कानून मंत्री ने भुवनेश्वर में केंद्र सरकार के विधि अधिकारियों के कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए कहा, “कुछ लोग न्यायपालिका को विपक्षी पार्टी की भूमिका निभाने के लिए मजबूर करना चाहते हैं। भारतीय न्यायपालिका इसे कभी स्वीकार नहीं करेगी। मैं आपको बता सकता हूं कि भारतीय न्यायपालिका खुद भारतीय न्यायपालिका को विपक्षी पार्टी की भूमिका निभाने के इन जबरदस्त प्रयासों का विरोध करेगी। ऐसा कभी नहीं होगा।”
उन्होंने कहा, “न्यायपालिका की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं है कि यह सरकार विरोधी हो।” मंत्री ने आरोप लगाया कि विशेष समूह चाहता है कि न्यायपालिका कुछ मामलों को उठाए, जो विशुद्ध रूप से कार्यकारी प्रकृति के हैं। उन्होंने कहा, “हाल ही में मैं विशेष मानसिकता वाले लोगों के कुछ समूह द्वारा कुछ कॉन्फ्रेंस देखकर चकित हूं और उस कॉन्फ्रेंस में एकमात्र चर्चा यह थी कि सरकार भारतीय न्यायपालिका पर हमला कर रही है? क्या कोई उदाहरण बता सकता है, जहां हमारी वर्तमान सरकार ने भारतीय न्यायपालिका की अवहेलना की हो? आप नहीं बता सकते और हम कर भी नहीं सकते।”
मंत्री ने सोशल मीडिया में न्यायाधीशों के खिलाफ व्यक्तिगत हमलों और अपशब्दों पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जजों के नाम पुकारने आदि के बारे में सोशल मीडिया प्लेटफार्मों में गालियां दी जा रही हैं। अगर सरकार पर हमला किया जाता है, अगर सरकार की आलोचना की जा रही है तो यह स्वागत योग्य है। लोकतंत्र में सरकारों से सवाल किए जाने चाहिए। लेकिन यह सही नहीं है। जब न्यायपालिका किसी तरह के आरोप या हमले के दायरे में आती है तो कोई अच्छी बात या अच्छी नजर आती है। मैं कानून और न्याय मंत्री के रूप में व्यक्तिगत रूप से चाहता हूं कि न्यायपालिका को अलग रहना चाहिए। न्यायपालिका को सार्वजनिक आलोचना से दूर होना चाहिए।” उन्होंने कहा कि कानूनी बिरादरी और नागरिकों को “भारतीय न्यायपालिका और भारतीय राज्य को बदनाम करने के शरारती प्रयासों” का विरोध करना चाहिए।