जयपुर, 16 सितंबर। राजस्थान हाईकोर्ट ने नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल को संपदा अधिकारी न्यायालय की ओर से विधायक कोटे में आवंटित किए गए आवास को खाली कराने के लिए दिए नोटिस की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने मामले में राज्य सरकार और संपदा अधिकारी एवं अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट व मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। अदालत ने राज्य सरकार को अपने जवाब के साथ ही समान प्रकृति से जुड़े अन्य प्रकरणों की जानकारी भी पेश करने को कहा है। जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश हनुमान बेनीवाल की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता सुमित्रा चौधरी ने बताया कि याचिकाकर्ता वर्तमान में सांसद है और देश का जाना माना राजनेता है। उसे जयपुर में आवास आवंटित किया गया था। याचिका में कहा गया कि संपदा अधिकारी और एडीएम के न्यायालय में उसे इस आवास से बेदखली की कार्रवाई लंबित है। इसके लिए संपदा अधिकारी अदालत ने उन्हें नोटिस जारी किया था। जिसकी पालना में याचिकाकर्ता के वकील ने पेश होकर जवाब के लिए समय मांगा। इस कार्रवाई के दौरान संपदा अधिकारी न्यायालय ने उन्हें उचित समय नहीं दिया और सुनवाई के लिए बहुत छोटी-छोटी तारीखें देना आरंभ कर दिया। वहीं याचिकाकर्ता की ओर से पेश आपत्तियों को भी खारिज कर दिया। जिस तरह की कार्रवाई संपदा अधिकारी न्यायालय में चल रही है, उससे जाहिर है कि वह राज्य सरकार के पक्ष में पूर्वाग्रहित है। संपदा अधिकारी को सिविल न्यायालय की शक्तियां मिली हुई हैं, लेकिन वे कार्यपालिका के नौकरशाह की तरह और मनमाने तरीके से काम कर रहे हैं। याचिका में यह भी कहा गया कि संपदा अधिकारी एवं एडीएम के पद पर आशीष शर्मा कार्यरत हैं। राजस्थान सार्वजनिक परिसर अनधिकृत अधिभोगियों की बेदखली अधिनियम, 1964 की धारा 3 के अनुसार इस पद पर उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी होना जरूर है, लेकिन आज तक यह अधिसूचना जारी नहीं हुई है। ऐसे में वे बिना अधिकार ही इस पद पर काम कर रहे हैं। याचिका में कहा गया कि संपदा अधिकारी न्यायालय की ओर से जारी नोटिस और कार्रवाई को रद्द किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने नोटिस की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से ऐसे समान प्रकरणों की जानकारी पेश करने को कहा है।
2025-09-16