जयपुर, 27 अक्टूबर। राजस्थान हाईकोर्ट ने विभागीय मापदंड से कम परीक्षा परिणाम देने पर विभाग की ओर से शिक्षक के खिलाफ की गई कार्रवाई पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने प्रमुख शिक्षा सचिव, उप सचिव और माध्यमिक शिक्षा निदेशक सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश ऋषिकेश की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि वर्ष 2015 में याचिकाकर्ता दौसा की महुवा तहसील के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, खोहरा मुल्ला में व्याख्याता पद पर कार्यरत था। इस साल कक्षा दस का गणित विषय का परीक्षा परिणाम विभागीय मापदंड से कम आया। ऐसे में माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने उसे चार्जशीट दी और मार्च, 2021 में उसकी दो वार्षिक वेतन वृद्धि रोक ली। इस आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ता ने विभागीय अपील पेश की। जिस पर सुनवाई करते हुए प्रमुख शिक्षा सचिव ने दंड को कम करते हुए उसे परिनिंदा के दंड से दंडित किया। इन दोनों आदेशों को याचिकाकर्ता की ओर से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। याचिका में बताया गया कि याचिकाकर्ता का स्कूल में परिणाम उत्कृष्ट रहता है। एक साल एक कक्षा का परिणाम तय मापदंड से कम आने पर उसे दंडित नहीं किया जा सकता। याचिकाकर्ता ने पूरे साल कक्षा में छात्रों को पढाया था और किताब का सिलेबस भी पूरा कराया था। याचिका में कहा गया कि हर छात्र का पढने का स्तर एक जैसा नहीं होता है। ऐसे में कम परिणाम के लिए उसे दोषी ठहराकर दंडित नहीं किया जा सकता। वर्ष 2015 से पूर्व के सालों और उसके बाद के सालों में अब तक उसकी कक्षा का परीक्षा परिणाम उत्कृष्ट रहा है। जिससे साबित है कि पढाने के दौरान उसकी ओर से कोई लापरवाही नहीं बरती जाती और सभी छात्रों को पढ़ाया जाता है। इसलिए उसकी दो वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने और परिनिंदा के दंड को रद्द किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को दंडित करने के आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है।
2023-10-27