नागौर से पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने के बाद सियासी वार-पलटवार शुरू हो गया है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि ज्योति मिर्धा पिछले साढ़े चार साल से कांग्रेस के किसी कार्यक्रम में नहीं देखी जा रही थीं। स्वाभाविक है कि उनका मन आज नहीं बदला है, उनका मन काफी दिनों से बदला हुआ था। उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि पीहर पक्ष से कांग्रेस की रही है और ससुराल पक्ष से बीजेपी की रही है। हो सकता है उन पर किसी तरह का दबाव रहा होगा। वे बड़े उद्योगपति घराने से संबंध रखती हैं, तो कोई दबाव होगा या उनका मन बदल गया होगा।
डोटासरा ने कहा, तीन साल से तो मैं अध्यक्ष हूं। कभी भी किसी कांग्रेस के कार्यक्रम में ज्योति मिर्धा नहीं आईं। उन्होंने बीजेपी जॉइन किया है, वह उनको मुबारक हो, हमें कोई तकलीफ नहीं है। हम नागौर जिले में भी मजूबत हैं और राजस्थान में भी मजबूत हैं।
कार्यकर्ताओं के घुटन महसूस करने के ज्योति मिर्धा के बयान पर डोटासरा ने कहा – तीन साल से मैं अध्यक्ष हूं, मुझे उन्होंने एक फोन भी कभी नहीं किया कि मेरी यह प्रॉब्लम है। जब मैं शिक्षा मंत्री था तो मंत्री के नाते भी कोई शिकायत मुझसे नहीं की। इसके बावजूद वे किस आधार पर कह रही हैं वह तो वह जानें। अब जो पार्टी से जाता है वह कुछ ना कुछ कमियां निकाल कर जाता है। सुभाष महरिया भी गए थे, दो-तीन महीने पहले पीसीसी मेंबर बने थे। मैंने उनसे पूछा था क्या आप कांग्रेस में है पीसीसी मेंबर बना दूं तो उन्होंने कहा था कांग्रेस अच्छी पार्टी है अच्छा काम कर रही है मुझे बना दीजिए। फिर अचानक राजेंद्र राठौड़ नेता प्रतिपक्ष बने तो उनकी दोस्ती जाग गई और उन्हें भाजपा में ले लिया। महरिया कांग्रेस में कमियां गिनाते हुए निकल गए।
डोटासरा ने कहा— अपना-अपना विवेक है अपने मन है जो जिसको ठीक लगता है। कानून व्यवस्था पर सवाल उठाने के मुद्दे पर कहा— ज्योति मिर्धा राजस्थान में कभी नहीं रही। वह अगर राजस्थान आती और किसी पीड़ित के घर जाकर शांत बना देती तो उन्हें कहने का अधिकार था। लगता है वे दिल्ली की बात कर रही हैं।
गोविंद मेघवाल बोले- ज्योति मिर्धा डूबते जहाज में सवार हो गईं
गोविंद मेघवाल ने कहा, ज्योति मिर्धा चार साल से सक्रिय नहीं है। ज्योति मिर्धा जी आप डूबते हुए जहाज में सवार हो गए हो। भारतीय जनता पार्टी डूबता जहाज है। बीजेपी पूरे देश में केरोसिन छिड़क रही है। जाति,धर्म के नाम पर लड़ा रही है। बीजेपी में ये जो जो रिटायर्ड अधिकारी गए हैं ये तो इनकम टैक्स का उनको डर है। वे गैर राजनीतिक लोग हैं उनका कोई राजनीतिक पार्टी से मतलब नहीं है। उनकी सोच ही है कि कांग्रेस जब तक राज में रहे,तब तक कांग्रेस के हाजिरी भर दो। किसी ने भ्रम फैला दिया कि राज बदल सकता है तो वह उधर चले गए। वह उनका परमानेंट एड्रेस नहीं है विशेष कर आप देखोगे जो रिजर्व सीटों से जो चुनाव लड़ना चाहते हैं या जीतकर आ रहे हैं वे ज्यादातर बीजेपी में गए हैं।