उदयपुर, 15 मार्च (ब्यूरो)। विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष व वरिष्ठ भाजपा नेता शांतिलाल चपलोत का कहना है कि कल्पना के शीश महल में कठपुतलियां नचाने से कुछ नहीं होता। वे पिछले दिनों से उदयपुर में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर उम्मीदवारी के लिए चल रही चर्चाओं और डिजिटल सर्वेक्षणों पर पत्रकारों के सवाल पर अपनी राय व्यक्त कर रहे थे।
बुधवार को अपने निवास पर पत्रकार वार्ता में कहा कि टिकट का निर्णय पार्टी करती है और पार्टी यदि उन्हें (चपलोत) भी कहेगी तो वे भी मैदान संभालेंगे। हालांकि, उन्होंने अपनी दावेदारी रखने का फिलहाल कोई निर्णय नहीं किया है। उन्होंने कहा कि चर्चा उन मुद्दों पर होनी चाहिए जिससे उदयपुर शहर और पूरा उदयपुर संभाग आज भी पिछड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि कब तक हम अच्छे काम शुरू होने का इंतजार करेंगे।
उन्होंने अन्य राज्यों का जिक्र करते हुए राजस्थान में क्षेत्रफल के अनुरूप उदयपुर में हाईकोर्ट बेंच की जरूरत को प्रतिपादित किया और कहा कि यह अब दक्षिणी राजस्थान की महत्वपूर्ण आवश्यकता बन चुकी है। उन्होंने कहा कि उदयपुर में तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में उच्च शिक्षण संस्थानों की भी आवश्यकता है। आईआईटी के लिए उदयपुर में हुए आंदोलन को याद करते हुए उन्होंने कहा कि तब भी आईआईटी उदयपुर के हाथों से फिसल गया। उन्होंने कहा कि आईआईटी जोधपुर, एम्स जोधपुर, जो देखो वह जोधपुर, ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या गहलोत जोधपुर के मुख्यमंत्री हैं।
उन्होंने कहा कि उदयपुर संभाग के बांधों को आपस में जोड़ने का कार्य भी शीघ्र शुरू करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि जब गुरुत्वाकर्षण के बूते ही पानी संभाग के जलाशयों में स्थानांतरित किया जा सकता है, तब इस पर कितना विचार किया जाएगा। अतिरिक्त पानी व्यर्थ बहकर जाए इससे अच्छा है कि उसका उपयोग हो। उन्होंने सभी को शुद्ध पेयजल की उपलब्धता पर भी जोर दिया। उन्होंने उदयपुर शहर की आयड़ नदी को भी सदानीरा करने के कार्य को गंभीरता से पूरा करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि उन्हें आज भी याद है कि बरसों पहले जून में भी नदी बहती थी और वे उसमें नहाते थे।
उन्होंने राजस्थान में विधान परिषद की भी जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि कई राज्यों में विधान परिषद है, लेकिन राजस्थान में इसकी स्थापना क्यों नहीं की जा रही है।
बढ़ते भ्रष्टाचार पर पत्रकारों के सवाल पर उन्होंने कहा कि लोगों की भूख ऐसी उघड़ गई है कि सात पीढ़ियों की व्यवस्था आज ही करना चाह रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अधिकतर मामलों में अनियमितता होने पर संबंधित सरकारी कर्मचारी और अधिकारी बच निकलते हैं, सिर्फ अनियमित कार्य करने वाला व्यक्ति फंसता है। आम आदमी में यह चर्चा आम है कि अनियमित निर्माण हो या अन्य कोई गलत कार्य, पैसा लेकर कर तो दिए जाते हैं, लेकिन जब पकड़ में आते हैं तो पैसा लेने वाले सरकारी कार्मिकों पर कार्रवाई होती नजर नहीं आती। मान लिया जाए कि भ्रष्टाचार नहीं भी हुआ तब भी जिम्मेदार कार्मिक की लापरवाही मानकर उस पर कार्रवाई अवश्य होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि इन मुद्दों के साथ डूंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलाम व मावली-देवगढ़-भीम-ब्यावर को ब्रॉडगेज से जोड़ा जाना भी जरूरी है। उदयपुर संभाग में खनन की असीम संभावनाओं के मद्देनजर रोजगार बढ़ सकता है, इस दिशा में स्थायी कार्ययोजना पर विचार किया जाना चाहिए।