नगर परिषद सभापति विमल महावर को बर्खास्त करने से जुड़ा प्रकरण में हाईकोर्ट ने 6 अप्रेल को जवाब प्रस्तुत करने को कहा

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नगर परिषद सभापति विमल महावर को बर्खास्त करने से जुड़ा प्रकरण।
हाईकोर्ट ने स्वायत शासन विभाग व सभापति को 6 अप्रेल को जवाब प्रस्तुत करने को कहा

राजस्थान हाई कोर्ट जयपुर सवाई माधोपुर नगर परिषद सभापति को निलम्बित नहीं करने के मामले में कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने स्वायत शासन विभाग और सभापति को 6 अप्रैल जबाव प्रस्तुत करने को कहा है। याचिकाकर्ता तूफान सिंह एवं अन्य 5 नगर परिषद पार्षदों की ओर से बुधवार को वरिष्ठ अधिवक्ता आर एन माथुर और आर.के. गौत्तम ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा। अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार भेदभाव पूर्ण नीति अपना रही है। सवाई माधोपुर नगर परिषद सभापति को राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है। जिसके चलते रिश्वत लेते गिरफ्तार होने के बाद भी उन्हें सरकार निलंबित नही कर रही है। हाल ही में लगभग 3 करोड़ 50 लाख के कार्य नगर परिषद सवाईमाधोपुर को स्वीकृत किए है। जिसका दुरुपयोग होने की संभावना है। इसलिए अधिवक्ताओं ने कोर्ट से सभापति के वित्तीय अधिकार फ्रिज करने की प्रार्थना गई। अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि सवाईमाधोपुर नगर परिषद के तत्कालीन सभापति कमलेश जेलिया को रंगे हाथो पकड़े जाने पर उन्हें उसी दिन निलंबित कर दिया था। राज्य सरकार व स्वायत्त शासन विभाग की ओर से AGG (अतिरिक्त महाधिवक्ता) अनिल मेहता ने कोर्ट से मामले में जवाब के लिए 2 सप्ताह का समय मांगा था। मामले को लेकर कोर्ट ने अगली सुनवाई 6 अप्रैल 2023 निर्धारित की है। कोर्ट ने अगली सुनवाई तक सरकार को अपना पक्ष बताने के लिए कहा है। यदि जवाब अगली सुनवाई तक नहीं दिया जाता है तो निदेशक स्वायत शासन विभाग को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होकर विभाग की ओर से की जा रही भेदभाव पूर्ण कार्रवाई के संबंध में स्पष्टीकरण देने का आदेश प्रदान किए है। इसी के साथ ही विभाग को जवाब देने का अंतिम अवसर प्रदान किया है।

गौरतलब है कि नगर परिषद सभापति विमल चंद महावर को ACB ने 30 हजार की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। जिसके बाद सभापति को उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। सभापति महावर की दो माह बाद हाई कोर्ट जयपुर से जमानत याचिका स्वीकार हुई थी। जिसके बाद विमल चंद महावर ने सभापति का पद फिर से ग्रहण कर लिया था। जबकि सवाई माधोपुर नगर परिषद के आयुक्त ने कार्य ग्रहण करवाए जाने के बारे में स्वायत शासन विभाग को मार्गदर्शन के लिए पत्र लिखा था। जिसका जवाब आने से पहले ही सभापति ने कार्यभार ग्रहण कर लिया था।

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