दिल्ली कोर्ट ने कहा कि ‘वैश्या’ शब्द किसी व्यक्ति का अपमान करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द नहीं है, बल्कि यह किसी भी मेहनती महिला की शील भंग करने के लिए बाध्य है। द्वारका कोर्ट के प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट हरजोत सिंह औजला ने व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) की धारा 506 (आपराधिक धमकी) और 509 (महिला की शील भंग करना) के तहत दंडनीय अपराध के लिए दोषी ठहराया। शिकायतकर्ता ने 2021 में आरोपी के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि उसने उसके साथ अभद्र या गंदी भाषा का प्रयोग करके उसकी शील भंग की और बलात्कार की धमकी भी दी।
आरोप लगाया गया कि अभियुक्त ने “दरवाज़ा खोल दे मुझे तेरे साथ सेक्स करना है” और “रंडी/वैश्या तुझे मैं बताऊंगा, बहुत समझदार अपने तो समझती है” जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया। अभियुक्त को दोषी ठहराते हुए जज ने कहा कि जब किसी महिला के लिए ‘वैश्या’ शब्द का इस्तेमाल किया जाता ह, तो इसका मतलब है कि वह वफ़ादार नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि अभियुक्त द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्द सिर्फ़ अपमानजनक नहीं थे, बल्कि सीधे तौर पर महिला के लिंग पर प्रहार करते थे। यह दर्शाता है कि इस शब्द का आशय यह है कि महिला कामुक है और उसके चरित्र पर भी कलंक लगाती है।
अदालत ने कहा, “यह किसी भी महिला की गरिमा का अपमान करने के लिए बाध्य है। इन शब्दों का यह भी अर्थ है कि वह विभिन्न लोगों के साथ यौन संबंध बना रही है।” अदालत ने आगे कहा, “इसलिए अदालत का मानना है कि अभियुक्त द्वारा कहे गए शब्दों का उद्देश्य शिकायतकर्ता की गरिमा का अपमान करना है। इस प्रकार, IPC की धारा 509 के प्रावधान संदेह से परे हैं।” इसके अलावा, अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि अभियुक्त ने संबंधित शब्दों का प्रयोग करके प्रत्यक्ष रूप से धमकी दी, जो स्पष्ट रूप से IPC की धारा 503 के तहत परिभाषित आपराधिक धमकी के समान है। अदालत ने कहा, “उपरोक्त चर्चा के आधार पर अदालत का मानना है कि अभियोजन पक्ष ने अपना मामला संदेह से परे साबित कर दिया। इसलिए अभियुक्त को IPC की धारा 506 (भाग 2)/509 के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराया जाता है।”