Politics: मकर संक्रांति के बाद MP में तेज होगी चुनावी हलचल; जानें क्यों भाजपा के पैटर्न को फॉलो कर रहे कमलनाथ

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मध्य प्रदेश में दोनों पार्टियों की चुनावी तैयारियां युद्ध स्तर पर शुरू हो गई है। भाजपा ने संभाग स्तर पर बैठकों का दौर शुरु कर दिया है। संघ के पदाधिकारियों के अलावा प्रदेश के भाजपा प्रभारी मुरलीधर राव समेत संगठन के नेताओं ने राज्य की सभी विधानसभा सीटों का दौरा करना शुरू कर दिया है।नए साल की शुरुआत के साथ ही मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। 7 दिसंबर 2023 को वर्तमान प्रदेश सरकार का कार्यकाल खत्म होने जा रहा है। यानी इससे पहले प्रदेश में विधानसभा के चुनाव करवा लिए जाएंगे। ऐसे में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के पास चुनावी तैयारियों के लिए महज 9 माह ही बचे है। 14 जनवरी 2023 को खरमास के समापन के साथ ही दोनों दलों के नेता चुनावी तैयारियों में जुटे हुए नजर आएंगे।

भाजपा इस रणनीति पर कर रही है काम
भारतीय जनता पार्टी हर समय चुनावी मोड में काम करने वाली पार्टी मानी जाती है, लेकिन चुनावी वर्ष को देखते हुए पार्टी नेताओं की सक्रियता पहले के मुकाबले ज्यादा बढ़ी हुई नजर आ रही हैं। प्रदेश पदाधिकारियों ने दिसंबर से ही जिलों और संभागों में बैठकें करना शुरू कर दी हैं। हाल ही में कटनी में हुई प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के बाद प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव समेत संगठन के सभी नेताओं ने संभागवार बैठकों का दौर और प्रवास शुरु कर दिया हैं। मकर संक्रांति के बाद आरएसएस और भाजपा के नेताओं के प्रवास कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे। इसके अलावा दिल्ली में जनवरी में होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में भी मध्य प्रदेश चुनाव को लेकर रणनीति तैयार की जाएगी।

मध्य प्रदेश भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि, नए साल में भाजपा ने 121 सीटों को मजबूत करने की रणनीति बनाई है। इसके लिए वरिष्ठ नेता, पूर्व जिला अध्यक्ष, क्षेत्र में प्रभाव रखने वाले नेता, पूर्व संगठन मंत्रियों और विधायकों को एक-एक सीट की जिम्मेदारी सौंपी है। इनका काम कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करना और संगठन से दूर हुए कार्यकर्ताओं को एक्टिव करना है। भाजपा ने 2018 के विधानसभा चुनाव में हारी सीटों को आकांक्षी नाम दिया है। इनको मजबूत करने के लिए प्रभारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। बीजेपी ने छह पूर्व संगठन मंत्री शैलेंद्र बरुआ, आशुतोष तिवारी, जितेंद्र लिटोरिया, केशव सिंह भदौरिया, पूर्व प्रदेश पदाधिकारी विनोद गोटिया और विधायक राजेंद्र शुक्ला को शामिल किया है। कांग्रेस से भाजपा में आए विधायकों की सीटों पर भी नाराज कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को मनाया जाएगा।

पार्टी ने प्रभारियों को हर बूथ पर 10 प्रतिशत वोट बढ़ाने को लेकर रणनीति बनाने को कहा है। प्रदेश की हारी हुई और कमजोर सीटों पर प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा संगठन को मजबूत करने का काम करेंगे। दोनों नेता हर सीट का दौरा करेंगे। हारी हुई सीटों पर प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा बूथ स्तर संपर्क अभियान शुरू करेंगे। आगामी 6 माह के भीतर ऐसी सभी सीटें कवर कर ली जाएंगी। इसके बाद में नेताओं के चुनावी कैंपेन शुरू होंगे। भाजपा ने हारी सीटों हुई सीटों पर बूथ स्तर पर युवाओं को प्राथमिकता से जोड़ना शुरू किया है। हर बूथ पर दो युवा से ज्यादा से युवाओं को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।

मजबूत सीटों पर 6 माह पहले उम्मीदवार घोषित करेगी कांग्रेस
इधर, मध्यप्रदेश में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं में उत्साह नजर आ रहा है। एक तरफ जहां जनवरी में कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो यात्रा का समापन करेंगे। वहीं, दूसरी तरफ एमपी में कांग्रेस 26 जनवरी से कांग्रेस हाथ से हाथ जोड़ो अभियान शुरू करेगी। इस अभियान में बूथ स्तर पर मतदाताओं से संपर्क बढ़ने पर जोर रहेगा। इसके अलावा पार्टी अपनी कमजोर सीटों पर ज्यादा ताकत बढ़ाने की तैयारी कर रही है। जिन जिलों में नेता-कार्यकर्ता सुस्त बैठे हैं, वहां पार्टी के दिग्गज नेता जा-जाकर हौसला बढ़ा रहे हैं। फरवरी में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कांग्रेस पार्टी 85 वां राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित करेगी। इसमें एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों को लेकर रणनीति तैयार की जाएगी।

मध्यप्रदेश कांग्रेस से जुड़े सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने प्रदेश की 230 सीटों पर दूसरा इंटरनल सर्वे करा लिया है। सर्वे की अंतिम रिपोर्ट फरवरी में आएगी, लेकिन प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के मौजूदा 95 विधायकों में से 37 विधायक और 17 पूर्व मंत्रियों की ग्राउंड स्थिति मजबूत पाई है। इन्हें चुनावी तैयारी करने के लिए भी कह दिया गया है। शेष 41 सीटों पर पार्टी अगले कुछ महीनों में निर्णय लेने की स्थिति में होगी। सर्वे में 69 सीटों पर चुनाव से 6 महीने पहले उम्मीदवार घोषित करने की सिफारिश की गई है। ये वे सीटें हैं जहां पार्टी की स्थिति मजबूत है।

सूत्रों ने बताया कि प्रदेश की जिन सीटों पर कांग्रेस की लगातार हार हो रही है, वहां कांग्रेस नई रणनीति से काम करेगी। महिला कांग्रेस को इन सीटों की जिम्मेदारी दी जाएगी। वे घर-घर जाकर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास करेगी। प्रदेश संगठन मतदान केंद्र स्तर तक महिला कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी देगा। चुनाव में कांग्रेस स्थानीय कार्यकर्ताओं को ही आगे रखा जाएगा, क्योंकि इनके मतदान केंद्र स्तर पर व्यक्तिगत संबंध रहते हैं। इसके अलावा कांग्रेस भी भाजपा की तर्ज पर हर बूथ पर पन्ना प्रमुख तैनात करने की तैयारी कर ही है।

भाजपा की राह पर कांग्रेस
मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार ऋषि पांडेय कहते है कि दोनों पार्टियों की चुनावी तैयारियां युद्ध स्तर पर शुरू हो गई है। भाजपा ने संभाग स्तर पर बैठकों का दौर शुरु कर दिया है। संघ के पदाधिकारियों के अलावा प्रदेश के भाजपा प्रभारी मुरलीधर राव समेत संगठन के नेताओं ने राज्य की सभी विधानसभा सीटों का दौरा करना शुरू कर दिया है। सीएम हाउस में पंचायतों का दौर भी शुरू हो गया है। पिछली बार की तुलना में कांग्रेस इस बार जल्दी एक्टिव हो गई है। कमलनाथ चुनाव को देखते हुए कई प्रकार के सर्वे कर रहे है। इसके अलावा पार्टी ने सभी जिलों में प्रभारी भी नियुक्ति कर दिए है।

पांडेय कहते है कि भाजपा 24 घंटे 7 दिन चुनावी मोड में नजर आती हैं लेकिन कांग्रेस ने इस बार तैयारियां जल्दी शुरू कर दी है। कांग्रेस इस बार भाजपा के पैटर्न पर ही चलती हुई नजर आ रही हैं। प्रदेश प्रभारी से लेकर सभी नेता जमीनी स्तर पर दौरे करते नजर आ रहे है। पिछले चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने नर्मदा परिक्रमा यात्रा निकाली थी। जहां जहां दिग्विजय सिंह गए थे। वहां कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया था। लेकिन इस बार ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा है। कमलनाथ लगातार बैठक कर रहे है। नेताओं से वन टू वन चर्चा करने के अलावा कार्यकर्ता और आम लोगों से भी उम्मीदवार चयन को लेकर फीडबैक लेते हुए नजर आ रहे है। हालांकि अभी भी कई मुद्दों पर पार्टी में गुटबाजी नजर आ रही है।

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