-कोर्ट ने लिखा, ऐसा तो दानव भी नहीं करता, रामचरितमानस की चौपाई लिखकर सुनाया फैसला
कोटा, 12 अक्टूबर : 5 साल से नाबालिग बेटी से दुष्कर्म करने वाले पिता को कोटा के पॉक्सो कोर्ट ने अंतिम सांस तक जेल की सजा सुनाई है। गुरुवार को कोर्ट नंबर-3 के जज दीपक दुबे ने फैसला सुनाते हुए रामचरितमानस की चौपाई लिखकर बाली वध का उदाहरण दिया। साथ ही लिखा-ऐसा उदाहरण तो दानवों में भी देखने को नहीं मिलता। पीडि़ता नेशनल प्लेयर है।
घर में अकेली थी
सरकारी वकील ललित शर्मा ने बताया कि मामला 19 दिसंबर 2022 का है। पीडि़ता तीन बहनों में सबसे बड़ी है। मां और छोटी बहन बाजार गई थी, वहीं मंझली बहन अखाड़े में खेलने गई थी। पीडि़ता रसोई में खाना बना रही थी। शाम 6 बजे पिता ने उसे जबरन पकड़ लिया और अंदर कमरे में ले जाकर रेप किया।
गिड़गिड़ाने लगा पिता
मां के घर लौटने पर पीडि़ता ने पूरी घटना बताई। इसके बाद मां और आरोपी पिता के बीच झगड़ा हुआ। पिता ने माफी मांगते हुए ऐसी गलती दुबारा नहीं करने की बात कही। हालांकि पीडि़ता ने 9 मार्च 2023 को उद्योगनगर थाने में रिपोर्ट दी थी।
शर्मसार करने वाली घटना
जज दीपक दुबे ने टिप्पणी में बाली वध के प्रसंग से जुड़ी रामचरितमानस की चौपाई लिखी। मरते समय बाली ने श्रीराम से पूछा, आपने मेरा वध क्यों किया, तब श्रीराम ने बाली से कहा-‘अनुज वधु भगिनी सत नारी, सुनु सठ कन्या सम ऐ चारी। इन्हहि कुदृष्टि बिलोकई जोई, ताहि वध कछु पाप न होई’ अर्थात छोटे भाई की पत्नी, बहन, पुत्र की पत्नी और अपनी पुत्री इन चारों में कोई अंतर नहीं है। किसी भी पुरुष के लिए ये एक समान होनी चाहिएं। इन पर कुदृष्टि रखने वाला या इनका अपमान करने वाले का वध करना पाप की श्रेणी में नहीं आता।
आखिरी सांस तक प्रायश्चित करता रहेगा
कोर्ट ने लिखा-श्रेष्ठ परवरिश और संस्कारों के चलते ही बेटी ने राष्ट्रीय स्तर पर खेल प्रतियोगिता में भाग लिया। अपरिपक्व अवस्था से बालिग अवस्था तक शारीरिक संबंध बनाना मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है। इस प्रकार का उदाहरण सम्भवतया दानवों में भी नहीं पाया जाता। समय परिवर्तनशील है, लेकिन पिता का कलंक और बेटी की कटु स्मृतियां सम्भवत: कभी नहीं मिटेंगी। दोषी पिता अपने जीवन की आखिरी सांस तक कारागार में बैठकर प्रत्येक क्षण अपने पापों का प्रायश्चित करता रहेगा। उसे देखकर भविष्य में कोई भी पिता अपनी बेटी की ओर कुदृष्टि डालने की हिम्मत नहीं करेगा।
पीडि़ता को संदेश दिया
आदेश में लिखा-कोर्ट होनहार बेटी को संदेश देना चाहती है। ‘हमारी बिटिया रानी तुम होनहार खिलाड़ी हो, विपरीत परिस्थितियों में साहस व धैर्य के साथ लडऩा और विजयी होना तो तुम्हारे खून में है। चलो उठो काली अंधेरी रात गुजर चुकी है। आशाओं का सूरज नई किरण के साथ तुम्हें बुला रहा है। आगे बढ़ो, थाम लो अपनी खुशहाल जिंदगी का दामन और आशाओं के उन्मुक्त आसमान में उडक़र अपने सपनों को साकार करो।’
14 साल की उम्र से रेप
सरकारी वकील ने बताया कि पीडि़ता को उसकी मां ने गांव में बड़े पापा के पास भेज दिया था। 9 मार्च 2023 सुबह पिता उसे फिर से घर ले आया और जबरदस्ती करने लगा। इसके बाद उसने साहस कर 9 मार्च 2023 को उद्योगनगर थाने में शिकायत दी। शिकायत के दौरान वो बालिग हो गई। पुलिस ने मामला दर्ज किया। पीडि़ता के 164 के बयान करवाए। पीडि़ता ने बयानों में बताया कि 14 साल की उम्र से ही पिता दुष्कर्म करता आ रहा है। पुलिस ने पिता को गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान पेश किया। कोर्ट में 11 गवाह व 18 दस्तावेज पेश किए। 7 महीने की सुनवाई के बाद कोर्ट ने सजा सुनाई व 10 हजार का अर्थदंड भी लगाया। कोर्ट ने पीडि़ता को पीडि़त प्रतिकर स्कीम के तहत 10 लाख की आर्थिक सहायता की भी अनुशंसा की है।