गुजरात देश का ऐसा पहला राज्य है, जहां अमूल के माध्यम से ऊंटनी के दूध के व्यवसाय व विपणन के बारे में पहल

Share:-

बीकानेर, 4 दिसंबर : राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसन्धान केन्द्र (एनआरसीसी) में सेंन्टर फॉर एग्रीकल्चर एक्सटेंशन एंड फार्मर्स डेवेलपमेंट (कैफेड) के तहत गुजरात राज्य से 50 किसानों का एक दल शैक्षणिक भ्रमण कार्यक्रम हेतु पहुंचा।
केन्द्र निदेशक डॉ.आर्तबन्धु साहू ने कहा कि यह संस्थान ऊंट प्रजाति के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु प्रतिबद्ध है तथा इस प्रजाति की सीमित होती पारंपरिक उपयोगिता एवं संख्या को दृष्टिगत रखते हुए इसके विविध पहलुओं पर गहन अनुसंधान के साथ-साथ ऊंटनी के दूध एवं कैमल इको-टूरिज्म के क्षेत्र में उद्यमिता की संभावनाओं को लेकर जागरूकता बढा़ रहा है ताकि ऊंटपालकों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार लाया जा सके। डॉ. साहू ने किसानों को इस प्रजाति की शारीरिक विशेषताओं की विस्तृत जानकारी दीं तथा बताया कि ऊंटनी के दूध में औषधीय गुणधर्मों की भरमार है, इसी कारण से यह मधुमेह, क्षय रोग, आटिज्म आदि मानवीय रोगों में लाभप्रद पाया गया है, यह एलर्जी रहित, सुपाच्य, कम वसा आदि के कारण अपनी एक विशिष्ट पहचान रखता है। उन्होंने किसानों को ऊंटनी के लम्बे दुग्धकाल का जिक्र करते हुए प्रोत्साहित किया कि गुजरात देश का ऐसा पहला राज्य है, जहां के अमूल आदि के माध्यम से ऊंटनी के दूध के व्यवसाय व विपणन के बारे में पहल की गई, यही कारण है कि राजस्थान के बनिस्पत गुजरात में ऊंटों की संख्या बहुत कम घटी है और देश भर में राजस्थान के बाद गुजरात दोनों राज्य में ही ऊंटों की आबादी अधिक होने के कारण इसके दुग्ध व्यवसाय की प्रबल संभावनाएं देखी जा सकती है।

इस अवसर पर गुजरात के किसानों ने ऊंटों से जुड़े विभिन्न रौचक प्रश्नों यथा-ऊंट के जलग्रहण क्षमता, कूबड़ की विशेषता, ऊंटनी के दूध से बनाए जाने वाले उत्पाद आदि बारे में अपनी उत्सुकता जाहिर की, इस पर उन्हें वैज्ञानिक स्वरूप में समझाया गया।

किसानों के दल प्रभारी डॉ. अमोल गोंगे, बागायत अधिकारी, एसिस्टेंट डायरेक्टर ऑफ होर्टीकल्चर विभाग, आहवा डांग, गुजरात ने एनआरसीसी वैज्ञानिकों द्वारा प्रदत्त जानकारी को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए आभार स्वरूप में कहा कि देश की सुरक्षा में आज भी सेना आदि के माध्यम से ऊँट अपनी उपादेयता को सिद्ध कर रहा है तथा इस केन्द्र द्वारा ऊँट प्रजाति के विकास एवं संरक्षण हेतु किए जा रहे अनुसंधानिक एवं व्यावहारिक प्रयास प्रशंसनीय एवं प्रेरणादायक है। तत्पश्चात् केन्द्र के वैज्ञानिक (प्रसार) डाॅ.शान्तनु रक्षित द्वारा किसानों को उष्ट्र संग्रहालय, उष्ट्र बाड़ों, उष्ट्र डेयरी फार्म का भ्रमण करवाते हुए ऊँटों के फील्ड स्तर से जुड़ी जानकारी प्रदान की गई।

इस समाचार से समबंधित फोटो फाईल नंबर 4 आरएजेएच प्रेम 4 : ऊंट पालकों को जानकारी देते वैज्ञानिक व ऊंट अनुसंधान केन्द्र का भ्रमण करता एक दल।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *