धरातल पर नहीं उतर पाई नई बिजली कंपनियां – मुख्यमंत्री ने की थी दो नई बिजली कंपनियों की घोषणा

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जयपुर, 12 अक्टूबर : राज्य में कृषि डिस्कॉम और आईटी डिस्कॉम बनाने की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की घोषणा महज कागजी साबित हुई है और अब अधिकारी दो नए डिस्कॉम बनाने के स्थान पर इन दोनों कम्पनियों का कार्य बिजली वितरण कम्पनियों के माध्यम से ही करवाने की तैयारी में जुट गए हैं। राज्य में कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2021 में किसानों को राहत देने के लिए अलग से एग्रीकल्चर डिस्कॉम तथा इसी वर्ष आईटी को बढ़ावा देने के लिए नया आईटी डिस्कॉम बनाने की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री की ये दोनों घोषणाएं महज घोषणा ही बनकर रह गई और इन नई बिजली कम्पनियों के गठन को लेकर कोई काम नहीं हुआ।

किसानों के लिए होता अलग डिस्कॉम
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बजट घोषणा को मूर्त रूप दिया जाता तो राज्य में किसानों के लिए अलग बिजली वितरण कम्पनी होती और किसानों को बिजली देने का पूरा कार्य इसी डिस्कॉम के माध्यम से करवाया जाता। इस डिस्कॉम के लिए राज्य में घरेलू और औद्योगिक के अलावा अलग से कृषि फीडर बनाने, किसानों को बिजली कनैक्शन के लिए अलग से नीति और बिजली सप्लाई के लिए अलग से बिजली खरीद के कार्य किए जाते। अधिकारियों की ओर से आनन-फानन में तैयार किए गए इस प्रस्ताव को बजट घोषणा के बाद भी मूर्त रूप नहीं दिया जा सका। हालांकि इसी वर्ष सीएम गहलोत ने कृषि डिस्कॉम का कार्य मौजूदा डिस्कॉम्स से करवाने की बात कही और राज्य में अब तक के बकाया सभी कृषि कनैक्शन जारी करने की घोषणा कर दी।

आईटी कंपनी ऊर्जा विकास निगम में मर्ज
एग्रीकल्चर डिस्कॉम के बाद इसी साल मुख्यमंत्री ने बजट में बिजली कम्पनियों की अलग आईटी कम्पनी बनाने की घोषणा की थी। इसको लेकर शुरुआती दिनों में मशक्कत भी की गई, लेकिन यह घोषणा भी मूर्त रूप नहीं ले पाई और नई बिजली कम्पनी का निर्माण अटक गया। हाल ही ऊर्जा विभाग के अधिकारियों ने बीच का रास्ता निकालते हुए नई आईटी कम्पनी के स्थान पर राजस्थान ऊर्जा विकास निगम का नाम बदल दिया है। इसको लेकर पिछले दिनों ही मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स ने इसके नए नाम को मंजूरी दी है। इसके चलते अब ऊर्जा विकास निगम का नाम बदलकर राजस्थान ऊर्जा विकास एवं आईटी सर्विस लिमिटेड करने का निर्णय किया गया है।

भाजपा शासन में बनी थी नई कंपनी
प्रदेश में कांग्रेस शासन के दौरान दो नई बिजली कम्पनी बनाने की घोषणा की गई, लेकिन एक कम्पनी भी धरातल पर नहीं उतर पाई, जबकि पूववर्ती भाजपा शासन के दौरान ही बिजली कम्पनियों की पावर ट्रेडिंग सैल को हटाकर उसके स्थान राजस्थान ऊर्जा विकास निगम का गठन किया गया था। यह कम्पनी ही बिजली की खरीद फरोख्त का कार्य करती है।

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