राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में पेश किया शहर का दस साल का विजन प्लान

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जयपुर, 9 मार्च। राजस्थान हाईकोर्ट की ओर से दिए आदेश की पालना में राज्य सरकार की ओर से शहर का दस साल का विजन प्लान अदालत में पेश किया गया है। मुख्य सचिव की ओर से पेश इस प्लान में सफाई, पार्किंग, यातायात, अतिक्रमण और आवारा पशुओं को लेकर बनाई योजना की जानकारी दी गई है।
मुख्य सचिव ऊषा शर्मा की ओर से पेश विजन प्लान में कहा गया है कि शहर की सफाई व्यवस्था नगर निगम से संबंधित है। ग्रेटर और हेरिटेज निगम ने वार्डवार सर्वे कर सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए अलग-अलग श्रेणियां बनाई है। इसके तहत डोर टू डोर कचरा एकत्रित कर उसका परिवहन किया जाएगा। सार्वजनिक सडक़ों की सफाई के साथ ही कचरा डीपो से कचरा एकत्र कर उसका परिवहन किया जाएगा। वहीं शहर में रात्रिकालीन और मशीनों से सफाई की जाएगी। इसके अलावा सफाई के हालातों को जानने के लिए मौके पर समय-समय पर निरीक्षण किया जाएगा और कचरा फैलाने वालों से केयरिंग चार्ज वसूला जाएगा। इसके अलावा कचरा निस्तारण के लिए केन्द्रीयकृत कंपोस्ट प्लांट स्थापित किया जाएगा और शहर में मैटेरियल रिकवरी सुविधा शुरू की जाएगी। इसके साथ ही कॉमन बायो-मेडिकल ट्रीटमेंट सुविधा के साथ ही कचरागाह पर बायो माइनिंग प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा। वहीं स्वच्छ भारत मिशन के तहत कचरे को ऊर्जा में बदलने के लिए सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किया जाएगा और एसटीपी प्रोजेक्ट्स पर भी फोकस किया जाएगा। मुख्य सचिव की ओर से प्लान पेश कर बताया गया कि जेडीए और ट्रेफिक पुलिस मौजूदा परिवहन व्यवस्था में सुधार लाएगी। इसके तहत चौराहों के हालात में सुधार के साथ ही दुर्घटना वाले स्थानों को हटाकर सडकों पर संकेत और मार्किंग की जाएगी। इसके साथ ही आवश्यकता होने पर आरओबी, आरयूबी और एलिवेटेड रोड निर्माण के साथ ही रोड लाइटों को दुरुस्त किया जाएगा। इसके अलावा ट्रैफिक पुलिस ने ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार करने के लिए कई अभिनव प्रोजेक्ट भी शुरू किए हैं। इसके अलावा प्रदूषण को कम करने के लिए जेसीटीएसएल की ओर से तीन सौ इलेक्ट्रिक बसें भी शुरू की जाएगी। मुख्य सचिव की ओर से अदालत को बताया गया कि पार्किंग व्यवस्था को सुदृढ करने अतिक्रमण हटाने और आवारा पशुओं की समस्या समाप्त करने के लिए नगर निगम और जेडीए ने सर्वे कर विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर ली है।
गौरतलब है कि शहर को वर्ल्ड क्लास सिटी बनाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट से मामला हाईकोर्ट में भेजा गया था। हाईकोर्ट ने इसे वर्ष 2015 में स्वप्रेरित प्रसंज्ञान के तौर पर दर्ज कर समय-समय पर राज्य सरकार को दिशा-निर्देश जारी किए। वहीं गत 31 जनवरी को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से शहर के विकास को लेकर दस साल का विजन प्लान पेश करने को कहा था।

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