गुजरात हाईकोर्ट ने 2016 में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पीआईएल याचिकाकर्ता को राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद (एनएमसी) को नोटिस देने के लिए कहा। याचिका में दवाओं के जेनेरिक नाम लिखने के लिए डॉक्टरों के लिए नियम बनाने की मांग की गई थी। मामले में सुनवाई की शुरुआत में चीफ जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस आशुतोष जे शास्त्री की बेंच ने कहा कि यह मामला कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में आता है, हालांकि जून 2019 में भारतीय चिकित्सा परिषद को इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया था, कोर्ट एनएमसी को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया, जिसने 2019 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की जगह ले ली।
एडवोकेट भाविक समानी के जरिए अनंग मनुभाई शाह द्वारा दायर जनहित याचिका में प्रार्थना की गई है कि डॉक्टरों को जेनेरिक दवाएं लिखने के लिए कहा जाना चाहिए और एक मरीज के पास एक ही कंपोजिशन लेकिन अलग-अलग नामों वाली दवा बनाने वाले विभिन्न ब्रांडों से चुनने का विकल्प होना चाहिए। एडवोकेट समानी ने तर्क दिया, “जेनेरिक नाम लिखने के बजाय ब्रांड नाम लिखने वाले डॉक्टरों के कारण बड़े पैमाने पर जनता प्रभावित होती है।”
2023-01-12