जोधपुर। मेडिपल्स हॉस्पिटल की ओर से पूरे पश्चिमी राजस्थान के मरीजों को और अधिक सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मेडिकल थोरेकोस्कोपी सुविधा शुरू की गई है।
अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुमिता अग्रवाल ने बताया कि फेफड़ों के विभिन्न हिस्सों में होने वाली बीमारियों के इलाज में ब्रोंकोस्कोपी तकनीक उपलब्ध होने से काफी सुविधा हो गई है। लेकिन फेफड़ों के बाहर की झिल्ली (प्लयूरा) से जुड़े रोगों का पता लगाना कठिन होता है। थोरेकोस्कोपी तकनीक में एक विशेष ट्यूब को सीने में छोटे चीरे के जरिए डालकर फेफड़ों की झिल्ली और आसपास के अंगों से जुड़े रोगों का इलाज आसान हो गया है। इसमें फेफड़ों की झिल्ली में पानी भरना आम बीमारी है। थोरेकोस्कोपी यंत्र की मदद से प्लयूरल केविटी का पूरा दृश्य कैमरे में दिखता है।
थोरेकोस्कोपी से लिए गए बायोप्सी के नमूने से ऐसी बीमारी का सही पता लग जाता है। कई बार प्लयूरल केविटी में भरे पानी में जाले बन जाते हैं जिससे पानी पूर्णतया निकाला नहीं जा सकता। ऐसी स्थिति में थोरेकोस्कोपी से जाले तोड़े जाते हैं। उन्होंने बताया कि इस तकनीक के आने के साथ ही हाल ही में मेडिपल्स में पहुंचे एक स्थानीय मरीज जिसके फेफड़ों के विस्तार के लिए थोरेकोस्कोपी गाइडेड सेप्टायन रिमूवल किया गया। अत्यंत जटिल इस प्रक्रिया के बाद मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ्य महसूस कर रहा है। इस विशेष प्रक्रिया में पल्मोनोलॉजी डिपार्टमेंट के डॉ. यश माथुर सहित हॉस्पिटल की एनेस्थीसिया टीम, तकनीशियन और नर्सिंग स्टाफ ने भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।