मशहूर गजल गायक हुसैन बंधु उदयपुर आए, बोले, स्टूडेंट की तरह जीओगे तो सीखते रहोगे नहीं तो खत्म हो जाओगे

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उदयपुर, 9 मार्च (ब्यूरो)। मशहूर गजल गायक हुसैन बंधु गुरुवार को उदयपुर में एक शादी समारोह में शिरकत करने आए। इस बीच उन्होंने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने सभी को एक बड़ी सीख देते हुए कहा कि जब तक स्टूडेंट्स यानी विद्यार्थी की तरह जीओगे तब तक आपको नया सीखने को मिलता रहेगा। यदि आप खुद को संपूर्ण मान लोगो तो खत्म हो जाओगे।
हाल ही केंद्र सरकार की ओर पद्म पुरस्कार क लिए चुने गए मशहूर गजल गायक उस्ताद अहमद हुसैन और मुहम्मद हुसैन ने कहा कि वह आज भी घंटों रियाज करते हैं और एक स्टूडेंट्स क तरह संगीत साधना में जुटे हुए हैं। वह कहते हैं कि उनकी जिंदगी तो संगीत है।
उस्ताज अहमद हुसैन ने गजल के अंदाज में कहा कि चमाचम होती है, गुम होने की कोशिश नहीं करें, स्टेप बाय स्टेप आए। जबकि मुहम्मद हुसैन ने कहा कि ‘ करतब यानी आर्ट, करतब उसे कहते हैं… होता है करे तब, बैठा ही रहे सोचा करे कि होगा भला कब,’ उन्होंने कहा कि गुरु सिखाता नहीं है, गुरु की सेवा करनी होती है तब गुरु सिखाता है। 20 साल से हम इसे एक स्टूडेंट की तरह जी रहे हैं और हर वक्त कुछ नया सीखने का प्रयास करते हैं। अगर उस्ताद या गुरु बनकर रहते तो खत्म हो जाते। वे बोले, अगर विद्या किताब से आती तो कोई गुरु की जरूरत नहीं होती।
पिता कहते थे तुमको पुत्र की तरह नहीं, स्टूडेंट की तरह संगीत सिखाया, अपनी पहचान बनाओ
हुसैन बंधु ने बताया कि वे अपने पिता उस्ताद अफजल हुसैन जो ठुमरी और गजलों के मशहूर गायक थे, के साथ महफिलों में साथ जाया करते थे। जहां कुछ पैसे मिलते। कुछ समय बाद हमने भी धीरे-धीरे महफिलों में जाना शुरू किया। शुरू के दिनों में थोड़ी परेशानी हुई किन्तु पिताजी ने कभी किसी से हमारे लिए सिफारिश नहीं की। उनका कहना था कि मैंने तुमको पुत्र समझकर नहीं, स्टूडेंट समझकर संगीत सिखाया। अपनी पहचान खुद बनाओ। वर्ष 1980 में हमारी पहली म्यूजिक एलबम गुलदस्ता आई थी। जिसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा और अब चार दर्जन से अधिक एलबम आ चुकी हैं।

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