जयपुर, 14 मई। राजस्थान हाईकोर्ट ने कोचिंग संस्थानों के विद्यार्थियों की ओर से आत्महत्या करने से जुडे मामले में सुनवाई करते हुए मौखिक टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि यह बड़े दुख की बात है कि साल 2019 से इस संबंध में कानून बनाने की बात हो रही है, लेकिन अभी तक कोचिंग संस्थानों को रेगुलेट करने का कानून नहीं बना है। इसके अलावा कानून बनने तक बनाई गई गाइडलाइन को भी लागू नहीं किया जा रहा है। इसके साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई दो सप्ताह बाद रखी है। सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस मुकेश राजपुरोहित ने यह आदेश मामले में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि आत्महत्याओं को लेकर न्यायमित्र की ओर से पूर्व में पेश आंकड़ों का सत्यापन किया गया है। इस साल जनवरी माह से 8 मई तक 14 विद्यार्थियों ने आत्महत्या की है। दूसरी ओर एक कोचिंग सेंटर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन है। जिस पर 23 मई को सुनवाई होनी है। ऐसे में तब तक हाईकोर्ट की ओर से कोई आदेश नहीं दिया जाए। इस पर अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए मामले की सुनवाई दो सप्ताह बाद रखी है। गौरतलब है कि कोटा में कोचिंग सेंटरों में पढने वाले विद्यार्थियों की ओर से आए दिन आत्महत्या करने पर गंभीरता दिखाते हुए हाईकोर्ट ने साल 2016 में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया था। इस दौरान कोचिंग संस्थानों को रेगुलेट करने को लेकर ड्राफ्ट बनाया गया। वहीं हाल ही में राजस्थान कोचिंग सेंटर नियंत्रण एवं विनियमन विधेयक, 2025 विधानसभा में रखा गया, लेकिन बाद में उसे पुनर्विचार के लिए प्रवर समिति को भेज दिया गया। दूसरी ओर इस संबंध में केंद्र सरकार की ओर से बनाई गई गाइडलाइन भी लागू नहीं की गई हैं।
2025-05-14