जनहित याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए आठ मई तक का समय दिया
जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने डेढ़ साल से एक जनहित याचिका का प्रत्युत्तर दाखिल नहीं करने को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार को आखिरी मोहलत दी है। कोर्ट ने चेताया कि यदि आगामी सुनवाई तक जवाब दाखिल नहीं किया गया तो मजबूरन केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय के विधिक कार्य विभाग के सचिव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने के निर्देश देने पड़ेंगे।
न्यायाधीश विजय बिश्नोई और न्यायाधीश प्रवीर भटनागर की खंडपीठ ने डिप्टी सॉलिसिटर जनरल मुकेश राजपुरोहित को जवाब दाखिल करने के लिए आठ मई तक का समय दिया है। याचिकाकर्ता वीडी दाधीच की याचिका पर बहस करते हुए अधिवक्ता अनिल भंडारी ने कहा कि डेढ़ साल पूर्व दायर जनहित याचिका में विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 के प्रावधानों को चुनौती दी गई थी। उन्होंने कहा कि जन उपयोगी सेवा के तहत स्थायी लोक अदालत में दाखिल प्रकरण के न तो जवाब की और न ही निर्णय की कोई समय सीमा तय की गई है, जिससे निर्णय होने में सालों लग जाते है। याचिका में यह भी कहा गया कि अदालत को अपने ही निर्णय की पालना करवाने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य के सात स्थायी लोक अदालतों में अध्यक्ष के रिक्त पद भी नहीं भरे जा रहे हैं। राज्य विधि विभाग के 26 अप्रेल 2016 के आदेश तथा खंडपीठ के 18 जनवरी के निर्देश के बावजूद भी स्थायी लोक अदालत में स्टाफ की समुचित भर्तियां नहीं की गई है। राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता संदीप शाह ने खंडपीठ के पूर्ववर्ती निर्देश की पालना के लिए एक और अवसर दिए जाने का अनुरोध किया।