दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान पश्चिमी दिल्ली में रहने वाले एक व्यक्ति और उसके बेटे की हत्या के मामले में बुधवार को कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को दोषी ठहराया।
राउज एवेन्यू अदालत की विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा 18 फरवरी को सजा पर दलीलें सुनेंगी।
कुमार के खिलाफ हत्या के मामले में 2021 में आरोप तय किए गए थे। दंगों के संबंध में कुमार को दूसरी बार दोषी ठहराया गया है।अदालत ने कुमार के खिलाफ IPC की धारा 149 के साथ धारा 147, 148, 149, 302, 308, 323, 395, 397, 427, 436 और 440 के तहत अपराधों के लिए आरोप तय किए थे।
शिकायतकर्ता ने कहा था कि एक नवंबर 1984 को भीड़ ने उनके घर पर हमला किया था जिसके परिणामस्वरूप उनके पति और बेटे की हत्या कर दी गई थी, उन्हें और अन्य लोगों को चोटें आई थीं तथा उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया था।
शिकायतकर्ता ने आगे कहा कि उसने बाद में एक पत्रिका में कुमार की एक तस्वीर देखी और उसकी पहचान भीड़ को उकसाने वाले व्यक्ति की की। इसके बाद गृह मंत्रालय ने 12.02.2015 के अपने आदेश के तहत 1984 के दंगों से संबंधित मामलों की जांच या फिर से जांच करने के लिए एक एसआईटी का गठन किया। शिकायतकर्ता का बयान दर्ज किया गया जिसमें उसने फिर से घटना के बारे में बताया।
इस मामले में आगे की जांच से पता चला कि पीड़ित, शिकायतकर्ता की भाभी दोनों मृतकों के साथ घर पर मौजूद थीं, जब हजारों व्यक्तियों की एक हिंसक भीड़ ने लोहे की छड़ों और लाठियों आदि से लैस होकर उनके घर पर हमला किया था, उसके दरवाजे और खिड़कियां तोड़ दी थीं, घरेलू सामान लूट लिया था और आग से या अन्यथा उनके घरेलू सामानों को नष्ट करके और उनके घर में आग लगाकर शरारत की थी। यह भी आरोप लगाया गया था कि कुमार ने हजारों लोगों की गैरकानूनी सभा का नेतृत्व करके और उसका सदस्य होने के नाते और घातक हथियारों से लैस होकर दंगा, डकैती, हत्या, हत्या का प्रयास, आग या अन्यथा पीड़ितों के घर और अन्य घरेलू संपत्ति को नष्ट करके गंभीर चोट और शरारत करने के अपराध किए थे।
कुमार के खिलाफ आरोप तय करते समय, अदालत का विचार था कि प्रथम दृष्टया राय बनाने के लिए रिकॉर्ड पर पर्याप्त सामग्री थी कि वह न केवल मृतक के घर पर हमला करने वाली भीड़ का भागीदार था, बल्कि इसका नेतृत्व भी कर रहा था।
अदालत ने हालांकि IPC की धारा 201 (अपराध के सबूतों को गायब करना, या अपराधी को बचाने के लिए गलत जानकारी देना) और 307 (हत्या का प्रयास) के तहत आरोप हटा दिए थे।