मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने बीबीसी से कहा है कि उनको यह यकीन है कि इस आर्थिक संकट के समय भारत मालदीव की सहायता के लिए आगे आएगा.
रविवार से ही मालदीव के राष्ट्रपति की पांच दिवसीय भारत यात्रा शुरू हो रही है.
मालदीव इन दिनों भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. मालदीव पर भारी कर्ज़ है.
बीते सितम्बर महीने में मालदीव का विदेशी मुद्रा भंडार क़रीब 440 मिलियन डॉलर का रह गया था, जो कि महज़ डेढ़ महीने के आयात के लिए पर्याप्त है.
मुइज़्ज़ू ने उम्मीद जताते हुए कहा, “भारत विकास में हमारे सबसे बड़े भागीदारों में से एक है और वह हमारी स्थिति से पूरी तरह से वाकिफ़ है. हमें उम्मीद है कि हमारे सामने आने वाली चुनौतियों के लिए बेहतर विकल्प और समाधान खोजने के लिए भारत हमेशा तैयार रहेगा.”
पिछले कुछ वक़्त पहले तक भारत और मालदीव के रिश्तों में तल्ख़ी देखी जा रही थी.
‘इंडिया आउट’ का नारा मोहम्मद मुइज़्ज़ू के चुनावी प्रचार का हिस्सा रहा था.
मालदीव के राष्ट्रपति ने इस अभियान के बारे में सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा. मगर वो बोले कि किसी भी विवाद को आपसी बातचीत के ज़रिए सुलझाया जा सकता है.
मोहम्मद मुइज़्ज़ू की भारत यात्रा 10 अक्तूबर तक चलेगी.
मालदीव के आर्थिक हालात को देखते हुए मुइज़्ज़ू के लिए यह यात्रा काफ़ी अहम है. हाल के दिनों में बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका की सत्ता में हुए बदलाव की वजह से भारत के लिए भी मालदीव के साथ अच्छे होते संबंध ख़ास मायने रखते हैं.
मोहम्मद मुइज़्ज़ू पिछले साल ही मालदीव की सत्ता पर काबिज़ हुए थे. उसके बाद से द्विपक्षीय बातचीत के लिए यह उनकी पहली आधिकारिक भारत यात्रा है.
मालदीव ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान मालदीव पर भारत के असर को कम करने का वादा किया था.
मुइज़्ज़ू के सत्ता में आने के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं. लेकिन जानकारों का कहना है कि उनकी यात्रा से पता चलता है कि मालदीव अपने विशाल पड़ोसी देश भारत की अनदेखी नहीं कर सकता.