सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक्टिविस्ट से राजनेता बने अखिल गोगोई की याचिका, जिसे गुवाहाटी हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ दायर किया गया है, पर सुनवाई स्थगित कर दी है। उक्त आदेश में गुवाहाटी हाईकोर्ट ने गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत अपराधों के संबंध में डिस्चार्ज ऑर्डर को सोमवार, 13 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया था। जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ को बताया गया कि गोगोई की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट हुजेफा अहमदी अनुपलब्ध थे और इस कारण से स्थगन की मांग की गई थी। सीनियर एडवोके के पिता पूर्व सीजेआई एएम अहमदी का कल निधन हो गया था।
मामले को स्थगित करते हुए, पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि गोगोई को दिया गया अंतरिम संरक्षण भी बढ़ाया जाएगा। जस्टिस रामासुब्रमण्यम की अध्यक्षता में एक पीठ ने संघीय एजेंसी को 21 फरवरी को आदेश दिया था कि वो गोगोई को 24 फरवरी तक हिरासत में ना ले, जब मामले को अगली सुनवाई के लिए निर्धारित किया गया था। इसके बाद, अंतरिम सुरक्षा को कई बार बढ़ाया गया था। गोगोई को दिसंबर 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के दरमियान गिरफ्तार किया गया था।
उन पर भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 124ए (राजद्रोह), 153ए (विभिन्न समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), और 153बी (राष्ट्रीय एकता पर प्रतिकूल आरोप लगाना) के तहत मामला दर्ज किया गया था। यूएपीए के विभिन्न प्रावधान भी उन पर लगाए गए थे। हालांकि जेल में रहते हुए उन्होंने 2021 में विधानसभा चुनाव लड़ा और भारतीय जनता पार्टी की सुरभि राजकोनवारी को हराकर जीत हासिल की।
हिरासत में डेढ़ साल बिताने के बाद, जब एक विशेष एनआईए अदालत ने गोगोई और तीन अन्य व्यक्तियों के खिलाफ रिकॉर्ड पर सामग्री नहीं पाई तो उन्हें रिहा कर दिया गया। हालांकि, फरवरी में हाईकोर्ट ने विशेष अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसे संघीय एजेंसी ने चुनौती दी थी। याचिका सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड साहिल टैगोत्रा के माध्यम से दायर की गई थी। गोगोई का प्रतिनिधित्व सीनियर एडवोकेट हुजेफा अहमदी, एडवोकेट निनाद लाउड और टैगोत्रा ने किया।
केस टाइटलः अखिल गोगोई बनाम राज्य (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) और अन्य। | विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) संख्या 2504/2023