जयपुर, 4 मार्च। शहर की स्थाई लोक अदालत ने चौपहिया वाहन पर लिए गए लोन को चुकाने के बाद भी फाइनेंस कंपनी की ओर से बार-बार वसूली करने पर बेस्ट कैपिटल सर्विस लि. पर 22 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है। अदालत ने फर्म को आदेश दिए हैं कि वह अवैध रूप से वसूल की गई 11 हजार 352 रुपए की राशि ब्याज सहित लौटाए। इसके साथ ही अदालत ने परिवादी की खराब सिबिल रिपोर्ट भी दुरुस्त करने को कहा है। अदालत ने यह आदेश विरेन्द्र सिंह शेखावत के परिवाद पर दिए।
परिवाद में कहा गया कि उसने अपने चौपहिया वाहन पर विपक्षी फर्म से 2 लाख 25 हजार रुपए का लोन लिया था। जिसे 9 हजार 145 रुपए की कुल 36 किस्तों में चुकाना था। परिवादी की ओर से सभी किस्तों को चुकाने के बाद कंपनी ने उसके दिए गए चैकों में अधिक राशि दर्शाकर बैंक से बाउंस करा लिए। जब कंपनी से एनओसी के लिए संपर्क किया तो कंपनी ने 27 जुलाई 2018 को चेक रिटर्न चार्जेज जोडते हुए 63 हजार रुपए जमा कराने को कहा। परिवादी ने इसी दिन इस राशि का नकद भुगतान कर दिया। इसके बाद भी उसे एनओसी जारी नहीं की गई।
वहीं जनवरी 2019 में उसे फिर से नोटिस भेजकर 11 हजार 352 रुपए जमा कराने को कहा। इसके बाद फरवरी माह में कंपनी ने परिवादी को विधिक नोटिस भेजकर 95 हजार 130 और चेक रिटर्न चार्जेज जमा कराने को कहा। परिवाद में कहा गया कि संबंधित कंपनी लोन पूरा वसूलने के बाद भी उससे नाजायज वसूली कर रही है। कंपनी की ओर से उसका सिबिल खराब करने के चलते उसे भविष्य में लोन लेने में भी समस्या आएगी। ऐसे में उसे क्षतिपूर्ति दिलाई जाए। इसका विरोध करते हुए कंपनी की ओर से कहा गया कि परिवादी ने एग्रीमेंट की शर्तों के अनुसार भुगतान नहीं है। ऐसे में परिवाद को खारिज किया जाए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने कंपनी पर हर्जाना लगाते हुए अतिरिक्त वसूले गए 11 हजार 352 रुपए ब्याज सहित लौटाने को कहा है।