जोधपुर। ईश्वर कृपा से संत, महात्मा व गुरु मिलते है और गुरु कृपा से भगवान। शास्त्र अध्ययन व गुरु कृपा से ही मोक्ष की प्राप्ति संभव है। यह उद्गार चित्रापुर सारस्वत मठ के मठाधिपति सद्योजात शंकराश्रम स्वामी ने परमहंस परिव्राजकाचार्य स्वामी ईश्वरानन्द गिरि महाराज द्वारा दईजर लाछा बासनी स्थित संवित धाम आश्रम में पांच दिवसीय अतिरुद्र यज्ञ के अवसर पर आयोजित उद्घाटन सभा में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि गुरु मार्ग ही सन्मार्ग है जो साधक को सही दिशा प्रदान करता है। ऋतंभरा वसिष्ठ ने उत्तरो उत्तरो संवित गुरु उत्तरो..मंगलाचरण संकीर्तन गान प्रस्तुत किया। सम्वित साधनायन संस्थान की अध्यक्षा रानी उषा देवी ने स्वागत भाषण दिया जबकि संस्थान के सचिव भरत जोशी ने कार्यक्रम का संचालन किया। संस्थान के उपाध्यक्ष डीसी सिंघल, डा सीएस कल्ला, योगेंद्र सिंह गहलोत व चैतन्य शिरुर ने माल्यार्पण कर महात्माओं का स्वागत किया। संत सरोवर सोमाश्रम अर्बुदाचल के मठाधिपति स्वामी नारायण गिरि महाराज ने कहा कि गुरु की महत्ता विशाल है। जितना जितना अंदर जाते जायेंगे, समर्पण जितना तीव्र होगा, गुरु सन्निधि की अनुभूति भी तीव्र होती जायेगी। गुरु की महत्ता हिमालय से भी ऊंची है। संवित धाम में अतिरुद्र हवन भी गुरु अनुग्रह से हो रहा है। अतिरुद्र हवन के द्वितीय दिवस पर सुबह पीठादि पूजन, स्थापित देवताओं का पूजन, नवग्रह पूजन के साथ रुद्र स्वहाकार मंत्रों के सामूहिक उच्चारण के साथ 41 कुंडों में घी शाकल्या के रूप में सर्वोसधी की आहुतियां दी गई। वही प्रधान कुंड के ऊपर स्थापित कलश से चौबीसों घंटे घी की सतत धारा चलती रही को की पांचों दिन चलेगी।
2023-03-09